मूल हिन्दी में प्रकाशन के समय से “आवारा मसीहा” तथा उसके लेखक विष्णु प्रभाकर न केवल अनेक पुरस्कारों तथा सम्मानों से विभूषित किए जा चुके हैं, अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद प्रकाशित हो चुका है और हो रहा है। 'सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार” तथा 'पाब्लो नेरूदा सम्मान” के अतिरिक्त बंग साहित्य सम्मेलन तथा कलकत्ता की शरत् समिति द्वारा प्रदत्त 'शरत् मेडल”, उ. प्र. हिन्दी संस्थान, महाराष्ट्र तथा हरियाणा की साहित्य अकादमियों और अन्य संस्थाओं द्वारा उन्हें हार्दिक सम्मान प्राप्त हुए हैं। अंग्रेजी, बंगला, मलयालम, पंजाबी, सिन््धी और उर्दू में इसके अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं तथा तेलुगु, गुजराती आदि भाषाओं में प्रकाशित हो रहे हैं। शरतचन्द्र भारत के सर्वप्रिय उपन्यासकार थे जिनका साहित्य भाषा की सभी सीमाएँ लॉघकर सच्चे मायनों में अखिल भारतीय हो गया । उन्हें बंगाल में जितनी ख्याति और लोकप्रियता मिली, उतनी ही हिन्दी में तथा गुजराती, मलयालम तथा अन्य भाषाओं में भी मिली। उनकी रचनाएं तथा रचनाओं के पात्र देश-भर की जनता के मानो जीवन के अंग बन गए। इन रचनाओं और पात्रों की विशिष्टता के कारण लेखक के अपने जीवन में भी पाठक की अपार रुचि उत्पन्न हुई परन्तु अब तक कोई भी ऐसी सर्वागसम्पूर्ण कृति नहीं आई थी जो इस विषय पर सही और अधिकृत प्रकाश डाल सके। इस पुस्तक में शरत् के जीवन से संबंधित अन्तरंग और दुर्लभ चित्रों के सोलह पृष्ठ भी हैं जिनसे इसकी उपयोगिता और बढ़ गई है। बंगला में भी यद्यपि शरत् के जीवन पर, उसके विभिन्न पक्षों पर बीसियों छोटी-बड़ी कृतियां प्रकाशित हुईं, परन्तु ऐसी समग्र रचना कोई भी प्रकाशित नहीं हुई थी। यह गौरव पहली बार हिन्दी में लिखी इस कृति को प्राप्त हुआ है।
Awara Masiha (आवारा मसीहा)
Price:
₹
325.00
Condition: New
Isbn: 9788170280040
Publisher: Rajpal and sons
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels & Short Stories,Memoir & Biography,
Publishing Date / Year: 2014
No of Pages: 354
Weight: 590 Gram
Total Price: ₹ 325.00
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