₹285.00
MRPGenre
Memoir & Biography, Novels & Short Stories
Print Length
230 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2014
ISBN
9788170283157
Weight
380 Gram
आत्मकथाएं बहुत लिखी जाती हैं और उनमें से कम ही पसंद की जाती हैं और जीवित रहती हैं परंतु प्रख्यात लेखक अमृतलाल नागर की यह लीक से हटकर प्रस्तुत आत्मकथा अपने-आप में विशिष्ट है। इसमें ऐतिहासिक ढंग से तारीखें और तथ्य प्रस्तुत करके उन्होंने अपने जीवन की उन विविध घटनाओं को चित्रित किया है जो उनके जीवन में महत्वपूर्ण रही हैं, जिन्होंने उनके लेखन को दिशा दी है और व्यक्ति, परिवार तथा समाज से उनके संबंधों को प्रभावित किया है। इन दास्तानों में वे अनेक महत्वपूर्ण लेखक तथा कलाकार भी शामिल हैं जो लखनऊ में उनके समकालीन तथा उनके घनिष्ट मित्र थे और वे अनेक लोग भी जो अन्य नगरों में उनके निकट संपर्क में आये। बंबई की फिल्मी दुनिया में उनका प्रवेश-तथा उससे वापसी-इस पुस्तक का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस प्रकार यह कृति उनके अपने जीवन तथा कथा-यात्रा की कहानी होने के साथ ही अपने समय के साहित्य, साहित्यकार तथा उनके विशिष्ट वातावरण का भी रोचक और संग्रहणीय दस्तावेज़ है।
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