₹160.00
MRPGenre
Novels & Short Stories
Print Length
144 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2014
ISBN
9789350641484
Weight
180 Gram
डॉ. मुल्कराज आनंद की गणना 20वीं सदी के उन महान भारतीय लेखकों में की जाती है । जिन्होंने अंग्रेजी में लिखते हुए भी देशी सरो. कारों को नहीं भुलाया और चायबागानों मेँ काम करनेवाले मजदूरों, कुलियों, अछूतों को अपने लेखन का विषय बनाया । इस दृष्टि में उन्हें चार्ल्स डिकेंस और प्रेमचन्द की लीक का साहित्यकार माना जाता है। 1930 के दशक के शुरू मेँ इंग्लैण्ड प्रवास मेँ 'प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन' की स्थापना की और उसे अपना समर्थन सहयोग देने के लिए प्रेमचन्द को प्रेरित किया । इसमें आज से कोई ७५ वर्ष पहले के पंजाब से घटनाएं और चरित्र लिए गए है और अछूतों की दुर्दशा का हृदयग्राही चित्रांकन हुआ है। समय बदल गया है, हालात भी काफी कुछ बदलें हैं, लेकिन अस्पृश्यता की समस्या पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। सामाजिक समस्या पर अत्यंत प्रेरणाप्रद मार्मिक उपन्यास।
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