मृत्यु के बाद क्या होता है, इससे कहीं अधिक सार्थकता एवं प्रासंगिकता इस तथ्य की है कि मृत्यु से पहले के तमामा वर्ष हमने कैसे जिये हैं। मन-मस्तिष्क में समाये अतीत के समस्त संग्रहों, दुख-सुख के अनुभवों, घावों, आशाओं-निराशाओं और कुंठाओं के प्रति पूर्ण रूप से मरे बगैर हम जीवन को तभी ताज़ी-नूतन आँखों से नहीं देख सकते। मरना कोई दूर भविष्य में होने वाली डरावनी घटना न होकर इस क्षण होने वाली नवीनीकरण की प्रक्रिया है। जीवन और मृत्यु की विभाजक रेखा को ध्वस्त करती यह थीमबुक जे. कृष्णमूर्ति के अप्रीतम वचनों का एक अपूर्व संकलन है। "मृत्यु को समझने के लिये आपको अपने जीवन को समझना होगा। पर जीवन विचार की निरंतरता नहीं है, बल्कि इसी निरंतरता ने तो हमारे तमाम क्लेशों को जन्म दिया है। तो क्या मन मृत्यु को उस दूरी से एकदम सन्निकट, पास ला सकता है? वास्तव में मृत्यु कहीं दूर नहीं है, यह यहीं है और अभी है। जब आप बात कर रहे होते हैं, जब आप आमोद-प्रमोद में होते है, सुन रहे होते हैं, कार्यालय जा रहे होते हैं-मृत्यु सदा साथ बनी रहती है। यह जीवन में प्रतिपल आपके साथ रहती है, बिल्कुल वैसे ही जैसे प्रेम रहता है। आपको यदि एक बार इस यथार्थ का बोध हो जाये, तो आप पायेंगे कि आप में मृत्युभव शेष नहीं रह गया है।"
Jeevan Aur Mrityu (जीवन और मृत्यु)
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₹
165.00
Condition: New
Isbn: 9788170288169
Publisher: Rajpal and sons
Binding: Paperback
Language: Hindi
Genre: Philosophy,Novels & Short Stories,
Publishing Date / Year: 2014
No of Pages: 160
Weight: 205 Gram
Total Price: ₹ 165.00
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