₹595.00
MRPGenre
Novels & Short Stories
Print Length
400 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2013
ISBN
9788170281573
Weight
345 Gram
सोमनाथ हिन्दी साहित्य के कालजयी उपन्यासों में से है । बहुत कम ऐतिहासिक उपन्यास इतने रोचक और लोकप्रिय हुए है । इसके पीछे आचार्य चतुरसेन की वर्षों की साधना, गहन अध्ययन और सबसे बढ़कर उनकी लाजवाब लेखन-शैली है बारह ज्योतिर्लिंगों मेँ सोमनाथ का अग्रणी स्थान है । अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस अनादि-मंदिर के वैभव को 16 बार लूटा । पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था । फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला । यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि हैं 'सोमनाथ' का एक दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास से जीवंत हुआ है । मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुघरुओं की झनकार इस जीवन की तय को ताल देती है । जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है । आपत्तियों के नगाडों का शोर इसे दबा नहीं पाता । एक अजब सी शक्ति से वह फिर-फिर उठता है और करता है-एक और पुननिर्माण । निर्माण और विध्वंस की यही श्रृंखला इस कथा का आधार है ।
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