₹265.00
MRPGenre
Novels & Short Stories
Print Length
204 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2014
ISBN
9789350640784
Weight
340 Gram
"आदमी सागर की सतह तक तो पहुच गया है लेकिन अभी तक मानव मस्तिष्क की गहरी सतह तक नहीं पहुच पाया है और न ही उसे पूरी तरह से समझ पाया है । शायद आज़ तक लोगों के बीच जो आपसी रिश्ते कायम है, वह इसलिए कि हम एक दूसरे के अंदर के मन की बात को नहीं जान पाते । वषों साथ रहने के बाद भी शायद दो लोग एक-दूसरे को पूरी तरह से जान नहीं पाते । इसी बात को सोचते-सोचते मेरे मन से यह प्रश्न उठा कि यदि कोई ऐसी मशीन बन जाए जिससे सबके मस्तिष्क पारदर्शी हो जाएं, तो क्या होगा ? मुझे जवाब मिला कि शायद मानव सभ्यता ढह जाएगी । यहीं से शुरू हुई मेरे उपन्यास की शुरुआत...' सतह तक नहीं पहुच पाया है और न ही उसे पूरी तरह से समझ पाया है । शायद आज़ तक लोगों के बीच जो आपसी रिश्ते कायम है, वह इसलिए कि हम एक दूसरे के अंदर के मन की बात को नहीं जान पाते । वषों साथ रहने के बाद भी शायद दो लोग एक-दूसरे को पूरी तरह से जान नहीं पाते । इसी बात को सोचते-सोचते मेरे मन से यह प्रश्न उठा कि यदि कोई ऐसी मशीन बन जाए जिससे सबके मस्तिष्क पारदर्शी हो जाएं, तो क्या होगा ? मुझे जवाब मिला कि शायद मानव सभ्यता ढह जाएगी । यहीं से शुरू हुई मेरे उपन्यास की शुरुआत...' जब एक संवेदनशील नारी का विवाह एक ऐसे वैज्ञानिक से होता है जो हर मनुष्य को केवल एक मशीन ही समझता है, हूदय की भावनाएं उसके लिए कोई मायने नहीं रखतीं तब नारी के कोमल मन पर क्या बीतती है, इसी पृष्ठभूमि पर लिखा गया है यह उपन्यास । वैज्ञानिक "ब्रेनोबिश्जन' का अन्वेषण करता है जिससे कि हरेक व्यक्ति के दिमाग में जो बात चल रही है, उसको सब देख सकते है । इससे उसकी पत्नी के साथ रिश्ते और खुद पर उसका क्या असर होता है ? जानिए इस उपन्यास में ।
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