₹695.00
MRPGenre
Novels & Short Stories, Anthologies & Collections
Print Length
400 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2015
ISBN
9789350642191
Weight
100 Gram
मैं लोगों से मिलना पसन्द करता हूँ, विशेषकर अप्रिय लोगों से-उद्दंड, घमंडी, बनावटी, डींग हाँकने वाले, बडे़ लोगों के नाम लेनेवाले, पाखंडी-मैं उन्हें अपने बारे में बातें करने को उकसाता हूँ और वे बोलते चले जाते हैं। फिर उनकी स्थितियाँ बदलकर और थोड़ा-सा मिर्च-मसाला लगाकर उनकी कही बातों और किस्सों को कागज़ पर उतार देता हूँ। मुझे अपने बड़ा लेखक होने के बारे में कोई गलतफष्हमी नहीं; लेकिन मैं दूसरे लेखकों से अलग ज़रूर हूँ, क्योंकि मेरी कहानियाँ उनसे ज्श्यादा दुर्भावना व्यक्त करती हैं और अधिक मज़ेदार होती हैं। इस पुस्तक की कई कहानियाँ पचास साल से भी पहले लिखी गई थीं, लेकिन वे आज भी सार्थक हैं क्योंकि समाज में धोखाधड़ी उसी तरह चल रही है।'' -इस पुस्तक की भुमिका से
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