₹175.00
MRPGenre
Novels & Short Stories
Print Length
320 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2015
ISBN
9789350643624
Weight
100 Gram
यह उपन्यास 1930 में लिखा गया था जब गॉधीजी का सत्याग्रह आन्दोलन अपनी चरम सीमा पर था। प्रेमचंदगॉधी जी से बहुत प्रभावित थे ओर उन्हीं की तरह उनकी सहानुभूति देश के करोड़ों किसानों ओर गरीब मजदूरों के साथ थी जिसकी झलक इस उपन्यास में मिलती है। अपने घर-परिवार से नाखुश, नौजवान अमरकान्त अपने जीवन में प्रेम और मकसद पाने के लिए घर से निकल जाता है और जा बसता है शूद्रों की बस्ती में | कहानी में जहाँ एक तरफ हिन्दू-मुसलमान, मालिक-मजहदूर, शिक्षित-अशिक्षित के बीच का रिश्ता दर्शाया गया है, वहीं हिंसा और अहिंसा के बीच टकराव भी स्पष्ट मिलता है। आठ दशक पहले लिखे इस उपन्यास में जिस समाज का चित्रण है वही यथार्थ भारत के समाज में आज भी मिलता है। सरल भाषा और पात्रों के सटीक चित्रण के कारण “उपन्यास-सम्राट' प्रेमचंद आज भी हिन्दी के सबसे अधिक लोकप्रिय लेखक हैं।
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