₹425.00
MRPGenre
Novels & Short Stories
Print Length
292 pages
Language
English
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789350641583
Weight
100 Gram
१९८६ में ९० वर्ष की आयु में कृष्णमूर्ति की मृत्यु हुई, मेरी लट्यंस द्वारालिखित उनकी वृहदाकार जीवनी के दो खंड 'थे यिअर्ज़ अॉफ अवेकनिंग, (१९७५) तथा 'द यीअर्ज अॉफ फुलफिलमेंट' (१९८३) प्रकाशित हो चुके थे। तीसरा खंड 'द ओपन डोर' १९८८ में प्रकाशित हुआ। इन तीनों खण्डों को मेरी लटयंस ने 'द लाइफ एंड डेथ अॉफ जे.कृष्णमूर्ति' नाम से एक पुस्तक में समेटा है। कृष्णमूर्ति कौन थे ? इस प्रश्न केउत्तर का अन्वेषण उनके जीवन और उनकी मृत्यु के सन्दर्भ में इन पृष्ठों में किया गया है। कृष्णमूर्ति का जीवन और उनकी शिक्षाओं में कोई फर्क नहीं है- अतएव उनका जीवन भी उनकी शिक्षा ही है; जीवन, जिसकी व्यापकता में मृत्यु भी समाविष्ट है। कृष्णमूर्ति की शिक्षाओ को समझने के लिए उनके जीवन की, उनके मृत्यु की विशदता को जानना-समझना महत्वपूर्ण है। एक निर्वैयक्तिक व्यक्तित्व की अद्भुत गाथा।
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