₹195.00
MRPGenre
Novels & Short Stories, Anthologies & Collections
Print Length
152 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789350641538
Weight
300 Gram
भारत विभाजन की पृष्ठभूमि में लिखी 'टोबा टेक सिंह' लेखक मंटो की सबसे मशहूर कहानी है। ११ मई, १९१२ को जन्मे सआदत हसन मंटो का साहित्यिक सफर अंग्रेजी, फ्रेंच और रूसी लेखकों की रचनाओ के अनुवाद से आरम्भ हुआ। शुरू के लेखन में मंटो समाजवादी और वामपंथी सोच से प्रभावित थे। लेकिन देश के बँटवारे ने उन्हें बहुत गहरा और अमित घाँव दिया जिसकी झलक उनकी अनेक कहानियों में मिलाती है। जिनमें उन दिनों के पागलपन, क्रूरता और दहशत को दर्शाया गया है। कई बार उनकी लिखी कहानियों पर अश्लीलता के आरोप लगाए गए। १९४७ में विभजाजन के बाद, मंटो पाकिस्तान में जा बेस। लेकिन वहाँ उन्हें मुम्बई जैसा बौद्धिक वातावरण और दोस्त नहीं मिले और वह अकेलेपन और शराब के अँधेरे में डूबने लगे और १९५५ में गुर्दे की बीमारी के कारण उनकी मौत हो गयी। बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुद्दों पर लिखते थे जिन्हे उस समय दरवाजे के पीछे छुपाके रखा जाता था। सच सामने लाने के साथ।, कहानी कहने के अपनई बेमिसाल अदा और उर्दू जबान पर बेजोड़ पकड़ ने सहादत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया। प्रकाश पंडित के अनुवाद में मंटो की कलम का जादू इस पुस्तक की हर कहानी में बरकरार है।
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