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Pehla Girmitiya (पहला गिरमिटिया)

Price: ₹ 50.00

Condition: New

Isbn: 9788170289555

Publisher: Rajpal and sons

Binding: Paperback

Language: Hindi

Genre: Novels & Short Stories,Memoir & Biography,

Publishing Date / Year: 2012

No of Pages: 906

Total Price: 50.00

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‘गिरमिटिया’ अंग्रेज़ी के शब्द ‘एग्रीमेंट’ का बिगड़ा हुआ रूप है। यह वह एग्रीमेंट या ‘गिरमिट’ है जिसके तहत हज़ारों भारतीय मज़दूर आज से डेढ़ सौ साल पहले दक्षिण अफ्रीका में काम की तलाश में गये थे। एक अजनबी देश, जिसके लोग, भाषा, रहन-सहन, खान-पान एकदम अलग...और सारे दिन की कड़ी मेहनत के बाद न उनके पास कोई सुविधा, न कोई अधिकार। तभी इंग्लैण्ड से वकालत की पढ़ाई पूरी कर 1893 में मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका पहुंचते हैं। रेलगाड़ी का टिकट होने के बावजूद उन्हें रेल के डिब्बे से सामान समेत बाहर निकाल फेंका जाता है। इस रंगभेद नीति के पहले अनुभव ने युवा गाँधी पर गहरी छाप छोड़ी। रंगभेद नीति की आड़ में दक्षिण अफ्रीका में काम कर रहे भारतीय मज़दूरों पर हो रहे अन्याय गाँधी को बर्दाश्त नहीं होते और वे उन्हें उनके अधिकार दिलाने के संघर्ष में पूरी तरह जुट जाते हैं। बंधुआ मज़दूरों के साथ अपनी एकता को प्रदर्शित करने के लिए अपने आप को ‘पहला गिरमिटिया’ कहते हैं। 19वीं और 20वीं सदी के दक्षिण अफ्रीका की सामाजिक, राजनीतिक पृष्ठभूमि पर आधारित इस उपन्यास को सन् 2000 के व्यास सम्मान से पुरस्कृत किया गया। ‘शतदल सम्मान’ और ‘गाँधी सम्मान’ से सुसज्जित ‘पहला गिरमिटिया’ गाँधी जी को समझने का एक सफल प्रयास है।