Raat Bhari Hai (रात भारी है)

By Amrita Pritam (अमृता प्रीतम)

Raat Bhari Hai (रात भारी है)

By Amrita Pritam (अमृता प्रीतम)

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Specifications

Genre

Philosophy

Print Length

56 pages

Language

Hindi

Publisher

Rajpal and sons

Publication date

1 January 2012

ISBN

9789350641163

Weight

100 Gram

Description

पाकिस्तान के नामी-गिरामी लेखकों की कहानियां तथा रचनाएं जिनमें उन्होंने मज़हब और राजनीति की तानाशाही को ललकारा है-अमृता प्रीतम द्वारा प्रस्तुति। कुछ उद्धरणः ‘‘मेरे दिल की बस्तियां कई हैं, जिनमें से कई वीरान हो चुकी हैं...मेरे ननिहाल का और ददिहाल का, दोनों गांव मुझसे इस तरह छूट गए, जैसे किसी बच्चे से उसकी माँ छूट जाए। सियासत वालों ने मिलकर मुल्क बांट लिया। लोग तक़सीम कर लिये। पंजाब भी तक़सीम हुआ है। मेरे हिस्से का पंजाब भारत बन गया। अमृता और कृश्न चंदर का पंजाब पाकिस्तन बन गया...मेरा सतलुज दरिया कांग्रेस वालों ने ले लिया, उनका रावी मुस्लिम लीग वाले ले गए...’-अफ़जल तौसीफ़ ‘‘मेरे ख़्याल में लेखक वह होता है, जो किसी तानाशाह के ज़ुल्मों से कम्प्रोमाईज़ नहीं करता। उसकी कमिटमेंट लोगों के साथ होती है। जिस अहद में वह जीता है, उस अहद में अपने इर्द-गिर्द के लोगों की पीड़ा और प्यास से अपने को आइडैन्टीफ़ाई करता है...’’-फ़ख़ ज़मां मशहूर कवयित्री और लेखिका अमृता प्रीतम (1919-2005) ने पंजाबी और हिन्दी में बहुत साहित्य-सृजन किया जिसके लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी फैलोशिप, ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्मश्री और पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।


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