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Specifications

Genre

General

Print Length

112 pages

Language

Hindi

Publisher

Rajpal and sons

Publication date

1 January 2017

ISBN

9789350643440

Weight

192 Gram

Description

रूप में जो रुबाइयाँ संकलित हैं, 1959 में ये पहली बार उर्दू में प्रकाशित की गयी थीं। इन पर दी गयीं कुछ सम्मतियाँ :

इन रुबाइयों ने मुझ पर गहरा असर छोड़ा है। ये Re-discovery of India हैं। मानो, भारत की छवि इन रुबाइयों में उजागर होती है।’’
- जवाहरलाल नेहरू

ये रुबाइयाँ युग-युगान्तर तक भारतीय संस्कृति का अनुभव कराती रहेंगी।’’
- डा. राजेन्द्र प्रसाद

हिन्दू संस्कृति का साक्षात दर्शन करना हो तो कोई रूप की रुबाइयाँ पढ़े या सुने।’’
- पंडित मदनमोहन मालवीय

‘फिराक’ उर्दू शायरी का सुहाग है।’’
- ‘जोश’ मलीहाबादी

मैं क्या कविता करता हूँ, कविता तो ‘फ़िराक़’ करते हैं।’’
- सुमित्रानन्दन पंत

प्रयाग आकर अगर तुमने ‘फ़िराक़’ के मुँह से ‘फ़िराक़’ की कविता नहीं सुनी तो व्यर्थ प्रयाग आए।’’
- ‘निराला’


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