₹265.00
MRPPrint Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2019
ISBN
9789389373011
Weight
240 Gram
राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा के पठारी और बीहड़ क्षेत्र को ‘डांग’ के नाम से जाना जाता है। यहाँ के डाकू अपने को डाकू नहीं, बल्कि बागी कहते हैं। यहाँ आज भी स्त्रियों के खरीद-फरोख़्त होती है, ज़बदस्त जातिगत संघर्ष है, किसानों की हालत दयनीय है और अत्यंत गरीबी और भ्रष्टाचार है। ऐसी विषम परिस्थितियों में थोड़ी सी भी आर्थिक कठिनाई होने पर कई बार आम लोग डाकू बनने पर विवश हो जाते हैं। इन सबका डांग उपन्यास में सशक्त चित्रण है। प्रसिद्ध चंबल नदी के इर्द-गिर्द बसे इस क्षेत्र के बारे में लोग कम ही जानते हैं लेकिन लेखक हरिराम मीणा इस अंचल से गुज़रते हैं और पाठकों के लिए ऐसी कृति रचते हैं जिसमें जीवन के सभी रंगों के साथ माटी की सुगन्ध भी बसी है।आदिवासी जीवन के विशेषज्ञ और धूनी तपे तीर जैसे प्रसिद्ध उपन्यास के लेखक हरिराम मीणा लम्बे अरसे तक राजस्थान पुलिस विभाग में कार्यरत रहे और पुलिस महानिरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए। अब तक आपकी दस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा कई पुस्तकें देश के नामी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं। आपके साहित्य पर सौ से अधिक शोधार्थी एम.फिल. और पीएच.डी. कर चुके हैं। साहित्य में योगदान के लिए आपको ‘डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार’, राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च ‘मीरां पुरस्कार’, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान’, बिड़ला फाउंडेशन के ‘बिहारी पुरस्कार’ तथा ‘विश्व हिन्दी सम्मान’ से विभूषित किया जा चुका है।
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