₹185.00
MRPGenre
Print Length
128 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2023
ISBN
9788195297573
Weight
208 Gram
गागर में सागर की तरह इस पुस्तक में हिन्दी के कालजयी कवियों की विशाल काव्य-रचना में से श्रेष्ठतम और प्रतिनिधि काव्य का संकलन विस्तृत विवेचन के साथ प्रस्तुत है।
प्रस्तुत पुस्तक में अमीर ख़ुसरो (1262 -1324) के विशाल साहित्य भण्डार से चुनकर प्रतिनिधि पहेलियाँ, मुकरियाँ, निस्बतें, अनमेलियाँ, दो सुखन और गीत दिए गए हैं जो पाठकों को ख़ुसरो के साहित्य का आस्वाद दे सकेंगे। ख़ुसरो हिन्दी के प्रारम्भिक कवियों में माने जाते हंै। बहुमुखी प्रतिभा के धनी खुसरो ने अरबी, फ़ारसी और तुर्की में भी विपुल मात्रा में लेखन किया। अपने को ‘हिन्दुस्तान की तूती’ कहने वाले ख़ुसरो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ’हिन्दवी’ का प्रयोग किया। भारतीय जनजीवन और लोक की गहरी समझ और उसके प्रति प्रेम ख़ुसरो के साहित्य की बड़ी विशेषता है, यही कारण है कि लंबा समय व्यतीत हो जाने पर भी उनकी रचनाएँ आज भी भारतीय जनमानस में लोकप्रिय हैं। सल्तनत काल के अनेक शासकों के राज्याश्रय में रहे ख़ुसरो उदार सोच रखते थे और उनमें धार्मिक संकीर्णता और कट्टरता बिलकुल नहीं थी।
इस चयन के सम्पादक डॉ. माधव हाड़ा मध्यकालीन साहित्य के मर्मज्ञ हैं। वे उदयपुर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रह चुके हैं और इन दिनों भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में फ़ैलो हैं।
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