₹425.00
MRPGenre
Print Length
248 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2022
ISBN
9789393267146
Weight
328 Gram
हिन्दी नाट्यालोचना में प्रो. दशरथ ओझा के ग्रन्थ हिन्दी नाटक: उद्भव और विकास का सर्वोपरि स्थान निर्विवाद है। यह ऐसा ग्रन्थ है जो हिन्दी नाटक के सैकड़ों वर्षों के इतिहास को समेटता हुआ भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के कालखंड तक का अध्ययन प्रस्तुत करता है। दिल्ली विश्वविद्यालय में अनेक वर्षों तक प्राध्यापक रहे, आलोचक आचार्य ओझा ने इस ग्रन्थ के बाद स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी नाटक के इतिहास पर अपना दूसरा ग्रन्थ आज का हिन्दी नाटक: प्रगति और प्रभाव लिखा था। यह ग्रन्थ पिछली शताब्दी के अंतिम वर्षों तक जाता है। सर्वप्रथम 1984 में प्रकाशित उनका यह आलोचना ग्रन्थ नयी साज-सज्जा के साथ प्रस्तुत है। आचार्य दशरथ ओझा के इस ग्रन्थ में जगदीश चंद्र माथुर, धर्मवीर भारती और सुरेंद्र वर्मा प्रभृति अनेक महत्त्वपूर्ण नाटककारों का अध्ययन किया गया है। हिन्दी नाटकों की अधुनातन प्रवृत्तियों तथा उनके प्रभाव को मनीषी आलोचक ने व्यापकता और गहराई के साथ विश्लेषित किया है। कहना न होगा कि हिन्दी नाट्यालोचना के क्षेत्र में यह महत्त्वपूर्ण कृति पाठकों और अध्येताओं के लिए हिन्दी नाटक: उद्भव और विकास के दूसरे खंड की तरह संग्रहणीय होगी।
हिन्दी नाट्य साहित्य के प्रसिद्ध समीक्षक डॉ. दशरथ ओझा का जन्म वाराणसी के एक गाँव में 18 जनवरी 1909 में हुआ। काशी, प्रयाग तथा दिल्ली में उनकी शिक्षा हुई। उन्होंने हिन्दी और संस्कृत में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। डॉ. दशरथ ओझा दिल्ली विश्वविद्यालय में 1948 से 1977 तक हिन्दी के प्राध्यापक रहे। 1994 में उनका निधन हो गया।
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