Guru Nanak - Kaljayi Kavi Aur Unka Kavya (गुरु नानक - कालजयी कवि और उनका काव्य)

By Madhav Hada (माधव हाड़ा)

Guru Nanak - Kaljayi Kavi Aur Unka Kavya (गुरु नानक - कालजयी कवि और उनका काव्य)

By Madhav Hada (माधव हाड़ा)

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Specifications

Genre

General

Print Length

128 pages

Language

Hindi

Publisher

Rajpal and sons

Publication date

1 January 2023

ISBN

9789393267351

Weight

208 Gram

Description

गागर में सागर की तरह इस पुस्तक में हिन्दी के कालजयी कवियों की विशाल काव्य-रचना में से श्रेष्ठतम और प्रतिनिधि काव्य का संकलन विस्तृत विवेचन के साथ प्रस्तुत है।

सिख धर्म की बुनियाद रखनेवाले, गुरु नानक (1469 ई. - 1539 ई.), मध्यकालीन संत भक्ति के सबसे असाधारण व्यक्तित्व हैं जिन्हें अक्सर ‘पवित्र आत्माओं का राजा’, ‘हिन्दुओं का गुरु’ और ‘मुसलमानों का पीर’ भी कहा जाता है। गुरु नानक की वाणी में कविता अनायास है और परमात्मा की एकता का विचार उनकी वाणी में सर्वोपरि है जिसे वे अलग-अलग तरीकों से दोहराते हैं। जहाँ एक ओर गुरु नानक की वाणी में उस समय के लोकप्रिय संतों की रचनाएँ सम्मिलित हैं, वहीं उसमें उनका अपना बहुत कुछ मौलिक भी है। विशेषकर ईश्वर की प्रकृति का जो वर्णन उन्होंने किया है, वैसा सूक्ष्म और विस्तृत वर्णन किसी और मध्यकालीन संत के यहाँ नहीं मिलता। मध्यकालीन संतों की वाणियों के कई मत-पंथ अस्तित्व में आए लेकिन गुरु नानक का पंथ ही ऐसा इकलौता पंथ है, जो उनके बाद भी निरंतर और जीवंत होता रहा है। इससे यह स्पष्ट है कि उनकी वाणी केवल एक विचार नहीं है बल्कि लाखों लोगों की जीवन-पद्धति का आधार बन गयी है।

प्रस्तुत चयन में गुरु नानक की प्रामाणिक और आधिकारिक मानी जाने वाली रचनाओं में से श्रेष्ठ रचनाओं को प्रस्तुत किया गया है।

इस चयन का संपादन डॉ. माधव हाड़ा ने किया है जिनकी ख्याति भक्तिकाल के मर्मज्ञ के रूप में है। उदयपुर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ. हाड़ा मध्यकालीन साहित्य और कविता के विशेषज्ञ हैं। डॉ. हाड़ा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में फ़ैलो रहे हैं। संप्रति वहाँ की पत्रिका चेतना के संपादक हैं।


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