₹250.00
MRPPrint Length
112 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2023
ISBN
9789393267474
Weight
332 Gram
अपनी ख़ास क़िस्म की शाइरी और उसे कहने के अन्दाज़ की वजह से जौन एलिया देश-विदेश में बहुत ही लोकप्रिय हुए, ख़ासकर युवाओं के बीच। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आधुनिक उर्दू शाइरी के वे एक ‘राकस्टार’ हैं। उन्हीं के ऊपर आधारित है यह नाटक, जिसके बारे में मशहूर शाइर फ़रहत अहसास का कहना है, जौन एलिया का जिन एक बनती हुई लोक कथा या लीजेंड का ड्रामाई रूपांतरण है, जो इस लिहाज़ से निहायत दिलचस्प और प्रयोगात्मक रंग-कर्म है कि यहाँ एक ज़िन्दगी के मिथक बनते जाने को, नाटक की शक्ल में एक नाटकीय आधार या आकृति देने की कोशिश की गयी है, कुछ इस तरह कि हमारे ज़माने में, हमारी आँखों के सामने, एक शख़्स की अपने ज़िन्दगी-नामे या जीवनी में से निकल कर कहानियों की दुनिया का किरदार बनने की छपटपटाहट, ख़ुद एक नाटक की शक्ल हासिल करने के लिए ज़मीन तैयार कर रही है।’’
परिचित युवा शाइर इरशाद ख़ान ‘सिकन्दर’ के लिखे इस नाटक के किरदार, उनकी ज़बान जहाँ एक ओर जौन एलिया के मिथक का निर्माण करते हैं तो वहीं दूसरी ओर यह नाटक में एक नया प्रयोग है।
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