समकालीन हिन्दी कथा साहित्य में लोकबाबू की पहचान अपने कथ्य और प्रस्तुतीकरण के ठेठ देशी अंदाज़ के कारण है। किसानों के सवाल, आदिवासी जीवन, छोटे शहरों और कस्बों में मध्यवर्गीय परिवारों के चित्र लोकबाबू के कथा-साहित्य का निर्माण करते हैं। जंगलगाथा उनका नया कहानियों का संग्रह है, जिसमें छत्तीसगढ़ के वनांचल का लगभग अनदेखे जीवन का जीवंत वर्णन है। ‘जंगलगाथा’ कहानी आदिवासी जीवन का ऐसा प्रसंग है जिसके बहाने मध्यवर्ग की सामाजिक विडम्बना को बखूबी देखा जा सकता है। ‘मुखबिर मोहल्ले का प्रेम’ नक्सली गतिविधियों के बीच डरे-सहमे एक प्रेमी जोड़े की कहानी है, तो ‘होशियार आदमी’ में कोरोना के भयग्रस्त जीवन की झलक है और ‘मुजरिम’ किसान आत्महत्या का विषाद पैदा करती है। लोकबाबू सशक्त भाषा में कहानी रचते हैं जिसमें स्थानीय बोलियों और मुहावरों की छटा भी है। भारत के हृदय प्रदेश के जीवन का यह रंग-बिरंगा कोलाज पाठकों को अवश्य रुचिकर लगेगा। सामाजिक सरोकारों और छत्तीसगढ़ अंचल के लोक जीवन की संवेदनशील प्रस्तुति के लिए लोकबाबू के कथा-साहित्य की विशेष प्रशंसा होती है। उनका उपन्यास बस्तर बस्तर आलोचकों और पाठकों दोनों ने पसंद किया है। इसके अतिरिक्त उनके अब तक दो उपन्यास और दो कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
Junglegatha (जंगलगाथा)
Author: Lokbabu (लोकबाबू)
Price:
₹
285.00
Condition: New
Isbn: 9789393267450
Publisher: Rajpal and sons
Binding: Paperback
Language: Hindi
Genre: Fiction,Novels and Short Stories,
Publishing Date / Year: 2023
No of Pages: 160
Weight: 240 Gram
Total Price: ₹ 285.00
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