₹265.00
MRPPrint Length
144 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2024
ISBN
9789389373882
Weight
224 Gram
तन में सुलगती जवान उमंगें और मन में इश्क-मोहब्बत की चाह लिये जवानी की दहलीज पर खड़े दो युवक। उनकी मुलाकात होती है नारी-देह व्यापार के एक अनुभवी दलाल से जो उन्हें ले जाता है हीरा मंडी की गलियों में। हीरा मंडी – लाहौर की वह बदनाम बस्ती, जहाँ हर खिड़की, हर दरवाज़े से बुलाते हैं बदन, कुछ घंटों के खरीदे हुए लुत्फ़ के लिए।
अविभाजित हिन्दुस्तान में लाहौर संगीत, नृत्य, कला, साहित्य, संस्कृति, व्यापार, समृद्धि और फ़ैशन का केन्द्र था और हीरा मंडी वहाँ की बदनाम लेकिन चमकती बस्ती जो अपनी चकाचौंध से हर किसी को आकर्षित करती। लाहौर का उस समय का अनूठा मिजाज और नज़ाकत दुनिया भर में मशहूर थी और उसी की पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है यह रोचक और पठनीय उपन्यास।
2007 में हिमाचल सरकार के ‘पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी सम्मान’ से विभूषित राजेन्द्र राजन हिन्दी साहित्य के जाने-माने हस्ताक्षर हैं। इनके पाँच कहानी-संग्रह, तीन उपन्यास और दो यात्रा-वृतान्त के अतिरिक्त अन्य विधाओं में भी रचनाएँ उपलब्ध हैं। 2005 से साहित्यिक पत्रिका इरावती का संपादन करते आ रहे हैं।
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