Logo

  •  support@imusti.com

Kaka Ke Thahake (काका के ठहाके)

Price: ₹ 600.00

Condition: New

Isbn: 9789352664634

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hard Cover

Language: Hindi

Genre: Novels and Short Stories,Humor and Satire,

Publishing Date / Year: 2018

No of Pages: 328

Weight: 508 Gram

Total Price: 600.00

    0       VIEW CART

काका हाथरसी हास्यरस के सच्चे कवि ही नहीं, काव्य-ऋषि थे। उनकी कविताओं के तीन रंग हैं—सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक। इन तीनों रंगों में काका हाथरसी ने कभी साहित्यिक शालीनता और शिष्टता की मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। उनका हास्य गुदगुदाता है, मन में आह्लाद पैदा करता है, समाज की विसंगतियों और विकृतियों का पर्दाफाश भी करता है, लेकिन कभी किसी को दुःख अथवा पीड़ा नहीं पहुँचाता। उनका हास्य चाँदनी की ऐसी रजत-शीतल छटा है, जो निराशा, कुंठा और उदासी के अंधकार को बरबस भगा देती है। इन सब विशेषताओं के साथ उनके हास्य में ऐसी मौलिकता, सहजता, सामाजिक चेतना और साहित्यिक गरिमा है, जो उन्हें अन्य हास्य-कवियों से अलग करके हिंदी के आधुनिक हास्य-व्यंग्य साहित्य में सर्वोच्च स्थान का अधिकारी बनाती है। काका की कलम का कमाल कार से लेकर बेकार तक, शिष्टाचार से लेकर भ्रष्टाचार तक, परिवार से पत्रकार तक, विद्वान् से गँवार तक, फैशन से राशन तक, रिश्वत से त्याग तक और कमाई से महँगाई तक देखने को मिलता है। काका हाथरसी के इस संचयन ‘फुलझडि़याँ’ में उनकी ऐसी शिष्ट-विशिष्ट हास्य-व्यंग्य कविताओं का संकलन किया गया है, जो पाठकों को गुदगुदाएँगी, हँसाएँगी भी और सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था पर सोचने पर विवश भी करेंगी।