₹20.00
MRPGenre
Print Length
31 pages
Language
Hindi
Publisher
Navajivan Trust
Publication date
1 January 2012
ISBN
9788172292300
मेरे लेखोंका मेहनतसे अध्ययन करनेवालों और उनमें दिलचस्पी लेनेवालोंसे मैं यह कहना चाहता हूं कि मुझे हमेशा एक ही रूपमें दिखाई देनेकी कोई परवाह नहीं हे | सत्यकी अपनी खोजमें मैंने बहुतसे विचारोंको छोड़ा है और अनेक नई बातें सीखा भी हूं | उमरमें भले मैं बूढ़ा हो गया हूं, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता कि मेरा विकास बन्द हो जायगा |
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