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MRPगीता-रामानुजभाष्य पुस्तकाकार - यह श्रीसम्प्रदाय-प्रवर्तक जगद्गुरु श्रीरामानुजाचार्यद्वारा की गयी विशिष्टाद्वैत सिद्धान्तकी पुष्टिमें गीताकी अद्भुत व्याख्या है, जिसका अनुकरण भक्ति-पक्षके लगभग सभी आचार्योंद्वारा किया गया है। आचार्यश्रीके इस भाष्यमें प्रचलित अद्वैतवादका श्रुति-स्मृतियोंके प्रमाणसहित सुन्दर युक्तियोंद्वारा खण्डन, भगवद्-आराधनापूर्वक कर्मकी आवश्यकतापर बल, आत्मबोधहेतु सतत प्रयास इत्यादि विषयोंपर विशद विवेचन है। पुस्तकाकार—यह श्रीसम्प्रदाय-प्रवर्तक जगद्गुरु श्रीरामानुजाचार्यद्वारा की गयी विशिष्टाद्वैत सिद्धान्तकी पुष्टिमें गीताकी अद्भुत व्याख्या है, जिसका अनुकरण भक्ति-पक्षके लगभग सभी आचार्योंद्वारा किया गया है। आचार्यश्रीके इस भाष्यमें प्रचलित अद्वैतवादका श्रुति-स्मृतियोंके प्रमाणसहित सुन्दर युक्तियोंद्वारा खण्डन, भगवद्-आराधनापूर्वक कर्मकी आवश्यकतापर बल, आत्मबोधहेतु सतत प्रयास इत्यादि विषयोंपर विशद विवेचन है।
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