Hari Katha Anantaa (हरि कथा अनन्ता)

By Rajendra Arun (राजेंद्र अरुण)

Hari Katha Anantaa (हरि कथा अनन्ता)

By Rajendra Arun (राजेंद्र अरुण)

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Specifications

Print Length

283 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2008

ISBN

8173155267

Weight

450 Gram

Description

राम का भक्‍त-वत्सल एवं जन-उद्धारक चरित सदैव भक्‍तों को लुभाता रहा है; लेकिन उनका उदात्त जीवन जीने का संकल्प मानवता के लिए सनातन पाथेय बना हुआ है| मानवीय सम्बन्धों को जिस गरिमा के साथ राम अपने आचरण में साकार करते हैं, वह हर सुसंस्कृत मनुष्य का ललकपूर्ण प्राप्य है| इसीलिए राम कभी पुराने नहीं पड़ते| उनका स्मरण सदैव हमारे मन-प्राण को ताजगीपूर्ण सुवास से भर देता है| आखिर राम जन-मन को इतने प्रिय क्यों हैं? राम इतने विशिष्‍ट क्यों हैं? राम समस्त अवतारों में सर्वाधिक दु:ख उठानेवाले हैं, इसीलिए सर्वाधिक सुख देनेवाले भी हैं| भक्‍त-वत्सल प्रभु भक्‍त के दु:ख की पीड़ा के दंश को स्वयं जानते हैं| अत: वे अपने भक्‍तों को कभी भी दु:ख की आग में नहीं पड़ने देते| मूल्यों एवं आदर्शों से हीन जीवन हिन्दू मन को कभी रास नहीं आता है, इसीलिए समस्त अवतारों में उसने श्रीराम को सर्वाधिक आस्था व दृढ़ता से अपनाये रखा है| प्रस्तुत पुस्तक ‘हरि कथा अनन्ता’ में राम और रामायण के मर्म की व्यावहारिक व्याख्या की गई है| प्रभु राम की कीर्ति-गाथा को इसमें बड़ी श्रद्धा के साथ वर्णित किया गया है| आशा है, इसे पढ़कर सुधी पाठकों को अधिक आनन्द और रस आयेगा|


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