Taju Sansay Bhaju Rama (तजु संसय भजु राम)

By Rajendra Arun (राजेंद्र अरुण)

Taju Sansay Bhaju Rama (तजु संसय भजु राम)

By Rajendra Arun (राजेंद्र अरुण)

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Specifications

Print Length

272 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2007

ISBN

8173153795, 9788173153792

Weight

420 Gram

Description

रामचरितमानस’ में शिव, सती और पार्वती की कथा विश्‍वास, संशय और श्रद्धा के अन्त:सम्बन्धों को रूपायित करती है| इसमें शिव विश्‍वास हैं, सती संशय और पार्वती श्रद्धा| जब जीवन में संशय का आगमन होता है तो विश्‍वास खण्डित होता है और अमर प्रेम मृत्यु को समर्पित हो जाता है| संशय सबसे पहले विश्‍वास पर ही प्रहार करता है| संशय जितना प्रभावी होगा, विश्‍वास उतना ही कमजोर| संशय से नाता जुड़ते ही विश्‍वास से नाता टूट जाता है| सती जैसे ही संशयी हुईं, शिव रूपी विश्‍वास से उनका नाता टूट गया| संशय और विश्‍वास एक साथ चल ही नहीं सकते| एक की रक्षा के लिए दूसरे को आत्मबलिदान करना ही होगा| ‘मानस’ में कथा राम के आदर्शों की स्थापना की है, इसलिए संशय मरा, सती को आत्मदाह करना पड़ा| कथा जीवन की क्षुद्रताओं की होती तो विश्‍वास मरता, शिव को नष्‍ट होना पड़ता| शिव बचे तो विश्‍वास बचा, विश्‍वास बचा तो राम बचे और राम बचे तो राम को हृदय में धारण करनेवाला समाज बचा| जब जीवन में श्रद्धा का आगमन होता है तो दुर्बल विश्‍वास भी चट्टान की तरह सुदृढ़ हो जाता है| श्रद्धा-विश्‍वास के मिलन से प्रेम अमरत्व को प्राप्‍त कर लेता है| विश्‍वास रूपी शिव श्रद्धा रूपी पार्वती को प्राप्‍त कर प्रेम के अलौकिक प्रतीक अर्धनारीश्‍वर बन जाते हैं| श्रद्धा और विश्‍वास से बना जीवन कभी टूटता नहीं| जब जीवन रूपी गंगा का एक तट विश्वास का शिव हो और दूसरा तट श्रद्धा की पार्वती तो ‘रामकथा मुद मंगल मूला’ की पवित्र धारा बहेगी ही| ऐसी गंगाधारावाला परिवार और समाज न कभी नष्‍ट होगा, न कभी दु:ख-दैन्य से पराजित होगा|


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