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भगवान्रुद्र आशुतोष होनेके कारण अपने उपासकों पर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। पुराणों तथा शैवागमोंमें इनके एकादश स्वरूपोंकी चर्चा है। शैवागमोंमें इनके नाम शम्भू, पिनाकी गिरीश, स्थाणु, भर्ग, सदाशिव, शिव, हर, शर्व, कपाली तथा भव बतलाये गये हैं। इस पुस्तकमें प्रामाणिक ग्रन्थोंके आधार पर एकादश रुद्रोंके ध्यान, परिचय तथा लीलाका अत्यन्त मनोहर चित्रण किया गया है। प्रत्येक रुद्रके परिचयके साथ उसके बायें पृष्ठ पर उनका आकर्षक चित्र भी दिया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें औढरदानी शिव, हरिहरात्मकशिव, अर्धनारीश्वरशिव, पञ्चमुखशिव, गंगाधरशिव तथा महामृत्युञ्जय शिवकी लीला-कथाओंके साथ आकर्षक चित्र दिये गये हैं।
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