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इस पुराण में परात्पर ब्रह्म शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। इसमें इन्हें पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। शिव-महिमा, लीला-कथाओं के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर संयोजन है।
प्रस्तुत पुस्तक में मूल संस्कृत श्लोक हिन्दी व्याख्या सहित दिये हुये हैं। इसमें चित्र भी छापे गये हैं। दो भागों में छपी पुस्तक का यह पहला भाग है।
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