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इस विशेषांक के साथ साल के शेष 11 मासिक अङ्क भी रजिस्टर्ड डाक से भेजे जायेंगे। मासिक अंकों का कोई अतिरिक्त मूल्य देय नहीं है।
इस विशेषांक में 480 पृष्ठों में पाठ्य-सामग्री, 8 पृष्ठों में विषय सूची एवम् अंत में गीता प्रेस से प्रकाशित पुस्तकों की सूची है। कई बहुरंगे एवम् रेखाचित्र भी दिए गये हैं। यह पुस्तक मोटे जिल्द में है।
भगवान ने गीता में दैवीसंपदा और आसुरी-संपदा को दो भागों में बाँटकर जो दिग्दर्शन कराया है, उसकी कितनी महिमा है, कैसा माहात्म्य है, वर्तमान संदर्भ में उसकी क्या और कितनी आवश्यकता है, दैवी गुण-संपत्ति को आत्मसात करने और न करने का क्या परिणाम होगा, आसुरी संपत्ति को सुख मानने का क्या दुष्परिणाम होगा और फिर कैसी दुर्गति होगी - इसका शास्त्रीय स्वरूप तथा ठीक-ठीक व्यावहारिक स्वरूप प्रदर्शित करने के लिये कल्याण का यह विशेषांक प्रकाशित किया गया है।
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