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Specifications

Print Length

160 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

9789383111282

Weight

330 Gram

Description

साईं सबके भीतर विराजमान हैं| साईं का अपने भक्तों से ऐसा अटूट नाता है, जो जन्म-जन्मांतर तक बना रहता है| वे माता, पिता, सखा, गुरु व अभिभावक के रूप में हर क्षण अपने भक्तों के साथ हैं| साईं की लीला न्यारी है| यदि उन्हें अपने हृदय में विराजमान करना हो तो अपने अंत:करण को लोभ, मोह, माया, क्रोध आदि विकारों से मुक्त करना होगा| हृदयरूपी बगिया में प्रेमरूपी पुष्प खिलाने होंगे| साईं की प्रतिमा को शुद्ध व पवित्र अंत:करण में प्रतिष्ठित करने के पश्चात् ही उनके अलौकिक रूप व छटा का पान किया जा सकता है| सर्वभूतों में व्याप्त साईं सकल जगत् से नाता रखते हैं| तभी तो सभी धर्मों के अनुयायी उन्हें पूरी श्रद्धा व आस्था के साथ पूजते हैं, फिर भले ही वे हिंदू हों या मुसलमान| साईं ने सदैव सत्य का प्रतिपादन किया और धार्मिक आडंबरों व कट्टर रूढ़ियों में उलझे समाज को एक नई दिशा दी| प्रस्तुत पुस्तक में साईं बाबा के जीवन-दर्शन व संदेशों को सरल व बोधगम्य भाषा-शैली में प्रस्तुत करने का विनम्र प्रयास किया गया है| बाबा के उपदेश आज भी जनमानस को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं-दिन-प्रतिदन साईं धाम शिरडी में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या इस तथ्य की साक्षी है| साईं की शिक्षाओं, चमत्कृत करनेवाली कथाओं एवं प्रेरणादायी उपदेशों के द्वारा जीवन पथ आलोकित करनेवाली आस्थापूर्ण पुस्तक|


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