$7.00
Print Length
264 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
818582990X
Weight
545 Gram
श्रीमदभागवत ' महान् पौराणिक ग्रंथ है | यह विश्व के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथों में एक, संस्कृत साहित्य का परमोत्कृष्ट रत्न रथा सभी दार्शनिक मतभेदों का समन्वय करनेवाला ग्रंथ है | भगवान् के मधुरतम प्रेमरस का लहराता हुआ सागर है | जिस धर्म में कोई कपट न हो, ऐसा धर्म भागवत का मुख्य विषय है |
' रामचरितमानस ' की भांति भागवत भी जन- जन तक पहुँच सके तो समाज प्रेमसूत्र में गुँथकर हिंसा, क्लेश, वैर - विरोध, ईर्ष्या-द्वेष, कामना-क्रोध जैसे दुर्गुणों से बच सकता है | आज शेषशायी की कथाओं से दूर तरुणाई ' सेजशायी ' लौकिक व्यक्तियों से प्रभावित होने लगी है | ऐसे कठिन समय में श्रीमद्भागवत को आधार बनाकर जो कथाएँ लिखी गई हैं वे अत्यंत जनोपयोगी हैं |
कथा में साधारण समाज का मन लगता है और इससे संस्कार-परिवर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ होती है |
प्रस्तुत पुस्तक में श्रीमद्भागवत की कथाओं- अंत:कथाओं का इतना सरल, रोचक और आनंददायी वर्णन है कि इसे स्त्री -पुरुष, बाल-वृद्ध बड़े चाव से पढ़ेंगे. ऐसा विश्वास है | भागवत की कथाओं का एक नए प्रवाह, एक नई शैली में प्रस्तुतिकरण; साथ ही बीच-बीच में कथाओं से संबंधित चित्रों का ऐसा सामंजस्य कि श्रीमद्भागवत के एक अलग ही स्वरूप के दर्शन होते हैं |
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