$10.00
Print Length
96 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2016
ISBN
8188267791
Weight
330 Gram
समस्त सुख और वैभव प्राप्त होने के बाद भी राजा दशरथ संतान न होने के कारण हमेशा दुःखी तथा चिंतित रहते थे| यहीं चिंता उन्हें दिन-रात खाए जा रही थी| गुरु वसिष्ठ से राजा दशरथ की यह दशा देखी नहीं गईं| अतः उन्होंने राजा दशरथ से कहा, ‘हे राजन्! यदि आप मुनि ऋष्यशृंग को पुत्रेष्टि-यज्ञ के लिए आमंत्रित करें तो शायद आपके इस दुःख का निदान संभव हो सके|’
गुरु वसिष्ठ की बात मानकार राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि-यज्ञ के लिए तेजस्वी ऋष्यशृंग मुनि को निमंत्रण भिजवा दिया|
‘इसी पुस्तक से’
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