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मानस-पीयूष ग्रन्थाकार—महात्मा श्रीअञ्जनीनन्दनशरणजीके द्वारा सम्पादित ‘मानस-पीयूष’ श्रीरामचरितमानसकी सबसे बृहत् टीका है। यह महान् ग्रन्थ ख्यातिलब्ध रामायणियों, उत्कृष्ट विचारकों, तपोनिष्ठ महात्माओं एवं आधुनिक मानसविज्ञोंकी व्याख्याओंका एक साथ अनुपम संग्रह है। आजतकके समस्त टीकाकारोंके इतने विशद तथा सुसंगत भावोंका ऐसा संग्रह अत्यन्त दुर्लभ है। भक्तोंके लिये तो यह एकमात्र विश्रामस्थान तथा संसार-सागरसे पार होनेके लिये सुन्दर सेतु है। विभिन्न दृष्टियोंसे यह ग्रन्थ विश्वके समस्त जिज्ञासुओं, भक्तों, विद्वानों तथा सर्वसामान्यके लिये असीम ज्ञानका भण्डार एवं संग्रह और स्वाध्यायका विषय है। ऑफसेटकी सुन्दर छपाई, मजबूत जिल्द तथा आकर्षक लेमिनेटेड आवरणमें उपलब्ध।
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