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Grihapravesh (गृहप्रवेश)

Price: $ 7.78

Condition: New

Isbn: 8188267651, 9789386870520

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hardcover

Language: Hindi

Genre: Novels and Short Stories,Home and Garden,

Publishing Date / Year: 2010

No of Pages: 142

Weight: 280 Gram

Total Price: $ 7.78

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“अच्छा, यह इसने बिना किसी सोर्स, पुल के यों ही कर डालो, कहीं कोई खानदानी दुश्मनी तो नहीं?” “ऐसा तो कोई खानदान या खानदानी जर-जमीन मिल्कियतवाला भी नहीं!” “तब क्यों करता है ऐसा?” “सुना, बच्चों की दो बरस की पढ़ाई का नुकसान पहले ही हो चुका, ऐसे ही झमेलों में|” “बेबात इतना बड़ा बखेड़ा मोल लेना, कुछ समझ में नहीं आता, आखिर क्यों?” “कुछ नहीं, विनाश काले विपरीत बुद्धि, भइए!” “सुना, पिछले हलकों के सहकर्मियों में तो मशहूर हो गया था कि जो घर फूँके आपना, जाए अरुण वर्मा के साथ|” “यानी?” “यानी ब्लैक लिस्टेड|” तभी दोहत्थड़ मारकर एक मनचला ठहाका लगाता है-“वाह! जरा सोचो यारो, ईमानदारी और असूलों पर भी बाकायदे ब्लैक लिस्टेड होने लगे न!” “अमाँ, कहाँ की फिलॉसफी छाँट रहे हो, अभी तुमसे कहें कि जरा आज की जिंदगी से सही और गलत, ईमानदारी और बेईमानी को छोर-छोर कर अलग-अलग खतियाओ, तो कर लोगे क्या? बोलो, कूबत है छाँटने की? मालूम तो होगा बेईमानी, झूठ और फरेब से निकलकर जिंदगी का तर्जुमा करोगे तो क्या होगा?” -इसी पुस्तक से सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ. सूर्यबाला की ऐसी मर्मस्पर्शी व संवेदनशील कहानियों का संकलन, जो पाठकों के मन को छू जाएँगी|